June 2017 20
वो वादा कर के भी मिलने मुझे अक्सर नहीं आया
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला वो वादा कर के भी मिलने मुझे अक्सर नहीं आया यकीं मुझको भी जाने क्यों कभी उस पर नहीं आया कभी सैय्याद के जो खौफ से बाहर नहीं आया परिंदा कोई

June 2017 20
कितनी करीबियों से गुज़र कर…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला कितनी करीबियों से गुज़र कर जुदा हुए तकदीर से हम ऐसे में कितने खफा हुए उन चीड़ के दरख्तों के साये में बैठ कर यादों से अश्कबार भी हम बारहा हुए

June 2017 20
वो चाहते हैं तेरा हर गुमान छुप जाए…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला वो चाहते हैं तेरा हर गुमान छुप जाए जहाँ में दोस्त तेरी दास्तान छुप जाए यहाँ तो सच पे ही ऐलान कर दो बंदिश का कहीं पे जा के तो यह

June 2017 20
हर इक शय किस कदर लगती नई थी
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला हर इक शय किस कदर लगती नई थी हवाले जब तेरे यह ज़िंदगी थी ज़रा सी गुफ्तगू तुम से हुई जब मेरी राहों में मंज़िल आ बिछी थी अँधेरा पार कर

June 2017 20
छाए हैं आसमान में अब अब्र बेहिसाब…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला छाए हैं आसमान में अब अब्र बेहिसाब मौसम चला है करने को क्या शाम लाजवाब दिन भर में कितनी रोशनी धरती पे खर्च की अब दे रहा उफक को है सूरज

June 2017 20
तेरे पैगाम के बिना…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला ये खाली खाली दिन तेरे पैगाम के बिना जैसे कि हो गिलास कोई जाम के बिना राधा सकी न नाच कभी शाम के बिना होती रुबाई क्या भला खैयाम के बिना

June 2017 20
मगरूर ये चराग दीवाने हुए हैं सब …
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला मगरूर ये चराग दीवाने हुए हैं सब गरचे ये आँधियों के निशाने हुए हैं सब इक कारवां है बच्चों का पीछे पतंग के उड़ती हुई खुशी के दीवाने हुए हैं सब

June 2017 20
चलो माज़ी के अंधियारों में थोड़ी रौशनी कर लें …
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला चलो माज़ी के अंधियारों में थोड़ी रौशनी कर लें वहां यादों के दीपों से फरोजां जिंदगी कर लें मेरे महबूब तेरी दीद कब होगी ये क्या मालूम तुम्हारी इंतज़ारी में ज़रा

June 2017 20
रिश्तों को तोड़ कर जो अचानक चले गए…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला रिश्तों को तोड़ कर जो अचानक चले गए दिल में उन्हीं को पा के मैं हैरां हुआ बहुत मेहनत के बाद बैठे थे जब इम्तिहान में मुश्किल सा हर सवाल भी

June 2017 20
शहृ से गर गांव तक …
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला शहृ से गर गांव तक कोई सड़क तामीर हो गांव में और शहृ में फिर फासला शायद न हो जिस तरह लिख कर गए जांबाज़ तारीखे-वतन, उस तरह का फिर किसी