June 2017
29
चाँद तनहा है आसमाँ तनहा…कहानी – प्रेमचंद सहजवाला
Comments Off on चाँद तनहा है आसमाँ तनहा…कहानी – प्रेमचंद सहजवाला
तीन मूर्ति पुस्तकालय तक पहुंचना यह मात्र तीसरी बार हो रहा था पर इस बार अच्छा फंसा. लोहिया हस्पताल के बाद उधर जाने वाली बस नहीं दिखी तो एक ऑटो में ज़बरदस्ती बैठ गया. पर
June 2017
20
मेरी ‘सिस्टर’
Comments Off on मेरी ‘सिस्टर’
मेरी ‘सिस्टर’ संस्मरण – प्रेमचंद सहजवाला भारतीय समाज नारी पुरुष सन्दर्भ में कई पुराने धरातलों पर से चलता हुआ अब कम से कम शहरों में किसी आधुनिक व शिक्षित कही जा सकने वाली ज़मीन पर
June 2017
20
‘नॉस्टाल्जिया’ – प्रेमचंद सहजवाला
Comments Off on ‘नॉस्टाल्जिया’ – प्रेमचंद सहजवाला
सन् 70-80 के दशक में मैं सोनीपत में तैनात था व खूब कहानियां लिखता था. तभी एक दिन एक मित्र ने आ कर बताया कि दिल्ली में मन्नू भंडारी की कहानी ‘यही सच है’ पर
June 2017
20
जनता ने भर दी है हामी, एम एल ए होंगे गोस्वामी
Comments Off on जनता ने भर दी है हामी, एम एल ए होंगे गोस्वामी
>जनता ने भर दी है हामी एम.एल.ए होंगे गोस्वामी – चुनाव संस्मरण – प्रेमचंद सहजवालासन् 1969 की बात है. तब उत्तर प्रदेश में अचानक मध्यावधि चुनाव घोषित हो गए थे. एक तो हमारी पढ़ाई में