June 2017
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है खिजां गुलशन में फिर भी लग रहा आई बहार…
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गज़ल प्रेमचंद सहजवाला हो गए हैं आप की बातों के सब मुफलिस शिकार है खिजां गुलशन में फिर भी लग रहा आई बहार रौशनी दे कर मसीहा ने चुनी हंस कर सलीब रौशनी फिर रौंदने