June 2017 29
रिफ्यूजी
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रिफ्यूजी कहानी – प्रेमचंद सहजवाला (हंस 2015 में प्रकाशित) लीलां बुक्का फाड़ कर रो पडी. भागी को सब… वो दिन भी बहुत पुराना नहीं, जब साथ के रिफ्यूजी घर में से भागी की ही क्लास में

June 2017 29
चाँद तनहा है आसमाँ तनहा…कहानी – प्रेमचंद सहजवाला
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तीन मूर्ति पुस्तकालय तक पहुंचना यह मात्र तीसरी बार हो रहा था पर इस बार अच्छा फंसा. लोहिया हस्पताल के बाद उधर जाने वाली बस नहीं दिखी तो एक ऑटो में ज़बरदस्ती बैठ गया. पर

June 2017 29
ब्लॉग
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ब्लॉग कहानी – प्रेमचंद सहजवाला (‘दूसरी परंपरा’ जून-अगस्त 2014 अंक में प्रकाशित) मिल गया. खूब खोजा और मिल गया. उस से फ्रेंडशिप भी हो गयी. बातचीत भी. और लो, अब मेरी कार फर्राटे से दौड़

June 2017 20
इक न इक दिन हमें जीने का हुनर आएगा…
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ग़ज़ल – प्रेमचंद सहजवाला इक न इक दिन हमें जीने का हुनर आएगा कामयाबी का कहीं पर तो शिखर आएगा इस समुन्दर में कभी दिल का नगर आएगा मेरी मुट्ठी में भी उल्फत का गुहर

June 2017 20
ज़रा सी बात पे…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला ज़रा सी बात पे हो जाते हैं खफा कुछ लोग कभी जो होते थे अपने भी हमनवा कुछ लोग शजर की छांव में बैठे तो गुफ्तगू कर ली अगरचे धूप में

June 2017 20
ज़िन्दगी में कभी ऐसा भी सफर आता है…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला ज़िन्दगी में कभी ऐसा भी सफर आता है अब्र इक दिल में उदासी का उतर आता है शहृ में खुद को तलाशें तो तलाशें कैसे हर तरफ भीड़ का सैलाब नज़र

June 2017 20
मगरूर ये चराग दीवाने हुए हैं सब…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला मगरूर ये चराग दीवाने हुए हैं सब गरचे ये आँधियों के निशाने हुए हैं सब इक कारवां है बच्चों का पीछे पतंग के उड़ती हुई खुशी के दीवाने हुए हैं सब

June 2017 20
शहृ में चलते हुए सब को यही लगता है क्या…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला शहृ में चलते हुए सब को यही लगता है क्या कू ब कू दुश्मन कोई फिर घात में बैठा है क्या हाथ फैला कर यहाँ पर हर कोई करता सवाल देखना

June 2017 20
किसानों को ज़मींदारों के जब ऐलां बता देंगे…
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गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला किसानों को ज़मींदारों के जब ऐलां बता देंगे, वो अपनी जान दे कर आप के कर्ज़े चुका देंगे. परिंदे सब तुम्हारे क़ैदखाने के कफ़स में हैं, मगर इक दिन ये तूफाँ

June 2017 20
जगमगाते शहृ का हर इक मकाँ ऐवाँ लगा …
Posted By : kanoos

गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला जगमगाते शहृ का हर इक मकाँ ऐवाँ लगा गरचे दिल से हर बशर बे-इन्तहा वीराँ लगा झूठ के रस्ते रवाँ था आज सारा काफिला सच के रस्ते जा रहा इक आदमी