20
- June
2017
Posted By : kanoos
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वो चाहते हैं तेरा हर गुमान छुप जाए…

गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला

वो चाहते हैं तेरा हर गुमान छुप जाए
जहाँ में दोस्त तेरी दास्तान छुप जाए

यहाँ तो सच पे ही ऐलान कर दो बंदिश का
कहीं पे जा के तो यह बेज़ुबान छुप जाए

हमें तलाश है उस छाँव की जहाँ पर हम
जब आँख मूंदें तो सारा जहान छुप जाए

सजाया किसने है यह कायनात का गुलशन
कुछ इस तरह से कि खुद बागबान छुप जाए

जहाँ पे ज़लज़ले हों चल वहीं पे चलते हैं
ज़मीं के टुकड़ों में यह आसमान छुप जाए

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