20
- June
2017
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तेरे पैगाम के बिना…
गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला
ये खाली खाली दिन तेरे पैगाम के बिना
जैसे कि हो गिलास कोई जाम के बिना
राधा सकी न नाच कभी शाम के बिना
होती रुबाई क्या भला खैयाम के बिना
फस्ले-बहार जाने पे आए न क्यों खिजां
कैसे कोई किताब हो अंजाम के बिना
पूछा शजर ने तेशे से कटने पे यह सवाल
क्योंकर सज़ा मिली मुझे इलज़ाम के बिना
जिनको किया गया है खिरद की कफस में कैद
दीवारें उन दिलों की हैं असनाम के बिना