20
- June
2017
Posted By : kanoos
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ज़रा सी बात पे…

गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला

ज़रा सी बात पे हो जाते हैं खफा कुछ लोग
कभी जो होते थे अपने भी हमनवा कुछ लोग
शजर की छांव में बैठे तो गुफ्तगू कर ली
अगरचे धूप में रखते हैं फासला कुछ लोग
वो कोई शैख़ हो या बिरहमन कि हो नासेह
न जाने इश्क को कहते हैं ‘क्या बला’ कुछ लोग
ये रास्ते हैं दरख्तों की छांव से भरपूर
इन्हीं से लेते हैं मंज़िल का भी पता कुछ लोग
न कोई अपनी खुशी और न कोई गम अपना
वतन की राह पे हो जाते हैं फ़ना कुछ लोग
हम उनकी बज़्म में जाने के ख्वाब देखते हैं
हमें दिखाते हैं तब आ के आईना कुछ लोग
हमारे शहृ में सब लोग बेमुरव्वत हैं
अगरचे देते हैं पैगाम प्यार का कुछ लोग
कभी तो करते हैं वो जां निसार की बातें
मुलम्मा रुख पे चढाते हैं बारहा कुछ लोग
ग़ज़ल – प्रेमचंद सहजवाला

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