20
- June
2017
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रिश्तों को तोड़ कर जो अचानक चले गए…
गज़ल – प्रेमचंद सहजवाला
रिश्तों को तोड़ कर जो अचानक चले गए
दिल में उन्हीं को पा के मैं हैरां हुआ बहुत
मेहनत के बाद बैठे थे जब इम्तिहान में
मुश्किल सा हर सवाल भी आसां हुआ बहुत
बस्ती में जब धुंआ उठा आई थी इक खबर
सुन कर हरेक शख्स हिरासाँ हुआ बहुत
जब झूठ पर तेरे न यकीं कर सका अवाम
किस दर्जा रहनुमा तू परेशां हुआ बहुत